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प्रेरणा स्रोत

स्व. श्री बाबा किशन सिंह नम्बरदार जी 

अतीत के आशीर्वाद के बिना वर्तमान कभी फल फूल नहीं सकता। अतीत की प्रेरणा ही वर्तमान को सम्बल प्रदान करती है। हमारे परमपूज्य पिताजी पुण्यप्रतापी स्व. श्री बाबा किशन सिंह नम्बरदार जी की ग्रामीण क्षेत्र में शैक्षिक विकास की अभिलाषा बड़ी प्रबल थी। उन्हीं की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से आज हम शिक्षा के क्षेत्र में सफल प्रयास करने का साहस कर पा रहे हैं। उनकी शिक्षा, संस्कार और पुण्य कर्मों के प्रभाव से ही कठिन राहों में भी कदम बढ़ाते हुये निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर है। परमपिता से प्रार्थना करते हैं कि हमें वह शक्ति दें कि हमारे पुण्यात्मा स्व. श्री बाधा किशन सिंह नम्बरदार जी के निर्देशित मार्ग पर चलते हुये उनके मिशन को आगे बढ़ाते रहें।

आपकी अपनी बेटी

श्रीमती वासमती देवी कुन्तल

 

प्रधानाचार्य की कलम से.....

‘भारत सहित सारे संसार के कष्टों का कारण है कि शिक्षा का सम्बंध नैतिकता व आध्यात्मिक की प्राप्ति से न होकर केवल मस्तिष्क के विकास और भौतिकता से रह गया है। अर्थात् नैतिक मूल्यों एवं चरित्र सम्भव नहीं। निर्माण को शिक्षा का आधार बनाये बगैर कोई विकास, कोई राष्ट्र निर्माण सम्भव नहीं।

इसके लिये विद्यालय ही एक प्रयोगशाला है जहां आदमी को इंसान बनाया जाता है। यह एक संगम है जिसमें गंगा यमुना सरस्वती की तरह शिक्षा, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं चरित्र निर्माण का समावेश है, इसमें डुबकी लगाकर अच्छे इंसान बनते हैं। इसके लिये उच्च आदर्शों से प्रेरित होकर उत्तम शिक्षा से वंचित क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक पिछड़ेपन के अभिशाप से मुक्त कराने के लिये बाबा किशन सिंह विद्या आश्रम की स्थापना की गई है। जो कालान्तर में स्वस्थ गांव, स्वस्थ समाज एवं स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में योगदान करेगा।
प्रधानाचार्य
डा. सत्यपाल सिंह कुन्तल

M.A., B.Ed